प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर गुरुवार शाम से 45 घंटे की ध्यान साधना में लीन हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बना लिया है। विपक्षी नेता इस मामले की आलोचना के साथ 'शीर्षासन' करते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने विपक्षी नेताओं को सनातन विरोधी ठहराने में कतई देर नहीं लगाई।

पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री जो भी करते हैं, उससे कांग्रेस और आइएनडीआइए को तकलीफ होती है, यह उनकी कुंठा का परिचायक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ स्थित गुफा में ध्यान लगाने पहुंचे थे, तब भी विपक्ष का रुख ऐसा ही रहा था। 2014 में वह चुनाव प्रचार समाप्त होने पर छत्रपति शिवाजी से जुड़े प्रतापगढ़ (महाराष्ट्र) गए थे।

भगवा शर्ट, शॉल और धोती में दिखाई दिए पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार शाम को विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान साधना शुरू की थी। ध्यान के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह उन्होंने सूर्य को अ‌र्घ्य दिया, जिसका भाजपा ने एक संक्षिप्त वीडियो एक्स पर पोस्ट किया। पार्टी ने प्रधानमंत्री की कुछ तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिनमें वह भगवा शर्ट, शॉल और धोती पहने ध्यान मंडपम में ध्यान में लीन दिख रहे हैं।

उनके सामने अगरबत्तियां जलती हुई देखी जा सकती हैं। पीएम मोदी ने अपने हाथों में जप माला लेकर मंडपम का चक्कर भी लगाया। ध्यान मुद्रा में मोदी की तस्वीरें अलग-अलग समय पर खींची गई हैं, इसी तरह उनके वीडियो क्लिप भी अलग-अलग समय के हैं।

खरगे ने कही ये बात

प्रधानमंत्री की इस ध्यान साधना पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'राजनीति और धर्म को कभी एक साथ नहीं लाना चाहिए। दोनों को अलग रखा जाना चाहिए। एक धर्म का आदमी आपके साथ हो सकता है और दूसरे धर्म का आदमी आपके विरुद्ध हो सकता है। धार्मिक भावनाओं को चुनाव से जोड़ना गलत है। वह कन्याकुमारी जाकर नाटक कर रहे हैं।

आगे बोले कि इतने सारे पुलिस अधिकारियों को नियुक्त कर देश का कितना पैसा बर्बाद हो रहा है? आप वहां जाकर जो दिखावा कर रहे हैं, उससे देश का नुकसान ही होगा। अगर आपको भगवान पर भरोसा है तो अपने घर पर ही करें।'

सीताराम येचुरी बोले- प्रतिरोध के बावजूद मदद करें और लड़ें नहीं

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ''क्या मोदी को 27 सितंबर, 1893 को शिकागो की विश्व धर्म संसद के अंतिम सत्र में स्वामी विवेकानंद के इन समापन शब्दों के बारे में पता है?' इसके साथ ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध भाषण से एक उद्धरण साझा किया।

जिसमें उन्होंने कहा था, ''अगर कोई अपने धर्म के एकमात्र अस्तित्व और दूसरों के विनाश का सपना देखता है, तो मुझे उस पर अपने दिल की गहराई से दया आती है। मैं उसे बताता हूं कि हर धर्म के बैनर पर जल्द ही लिखा जाएगा- प्रतिरोध के बावजूद मदद करें और लड़ें नहीं, समावेश करें और विनाश नहीं, शांति एवं सद्भाव और मतभेद नहीं।'

तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुनथागई ने एक्स पर पोस्ट में भाजपा द्वारा जारी प्रधानमंत्री के वीडियो एवं तस्वीरों पर तंज कसते हुए कहा, 'कितने एंगिल! कितने वीडियोग्राफर! स्वामी विवेकानंद चुप हैं।'

भाजपा ने किया पलटवार

जवाब में भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस और आईएनडीआईए पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस और आइएनडीआइए को क्या हो गया है? अगर प्रधानमंत्री कुछ कहते हैं, तो उन्हें समस्या होती है। अगर वह बिना कुछ कहे ध्यान के लिए विवेकानंद राक मेमोरियल जाते हैं, तब भी उन्हें समस्या होती है। यह विपक्ष की हताशा और सनातन विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।'

पूनावाला ने कहा, ''इन (विपक्षियों) लोगों ने राम मंदिर का विरोध किया, इसे बेकार करार दिया और कहा कि भगवान राम की कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने ¨हदू आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि सनातन एक बीमारी है। अब इन लोगों को एक हिंदू के शांतिपूर्वक ध्यान करने से समस्या है और क्या वे फतवा जारी करेंगे?''

प्रधानमंत्री मोदी कोई उल्लंघन नहीं कर रहे

ध्यान करने से आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कोई उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कोई प्रचार नहीं कर रहे हैं, वह कुछ नहीं कह रहे हैं, वह कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहे हैं, न ही यह कोई राजनीतिक सभा है। पूनावाला ने सवाल किया, ''आज इंटरनेट मीडिया के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन है और डाटा की लागत 90 प्रतिशत कम हो गई है। अगर कोई वीडियो बना रहा है, तो क्या आप उसे रोकेंगे?''

स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था

भाजपा प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री उसी स्थान पर ध्यान लगा रहे हैं जहां स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था। अब इससे भी कांग्रेस और आईएनडीआईए परेशान है। आखिर कांग्रेस और आईएनडीआईए को सनातन धर्म से, ध्यान से, मौन साधना से, विकसित भारत की अराधना से इतनी नफरत क्यों है? जिसके मौन में इतना बल हो, जिससे विधर्मी और देश को बदनाम करने वाली ताकतें परेशान हो जाए, वह एक राजर्षि तपस्वी ही हो सकता है। विपक्षी नेताओं को साधना करने से, पूजा करने से या नमाज पढ़ने से किसने रोका है?