सपा-भाजपा दोनों ही दलों में वंशवाद की नई बेल
लखनऊ। राजनीतिक दलों में परिवार की बात आते ही सबसे पहला नाम नेहरू-गांधी परिवार का आता है। प्रदेश की बात की जाए तो सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम भी शामिल है। हालांकि, अब तो छोटे व बड़े सभी दलों में वंशवाद की बेल फल-फूल रही है। इस बार भी लोकतंत्र के मंदिर में राजनीति की नई पौध अपनी जड़ें जमाने की कोशिश में जुट गई है।
प्रदेश में कई राजनीतिक घरानों की युवा पीढ़ी लोकसभा चुनाव के जरिए राजनीति में दाखिल हो गई है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव व जसवंतनगर के विधायक शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव ने बदायूं में लोकसभा चुनाव के जरिए राजनीति में पदार्पण किया है। करीब 36 वर्षीय आदित्य ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह इफको के बोर्ड में डायरेक्टर हैं। अभी तक अपने पिता का चुनाव प्रचार करते हुए दिखते थे।
मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में डिंपल यादव के प्रचार में भी उन्होंने खूब पसीना बहाया था। अब उन्हें सपा अध्यक्ष अखिलेश ने बदायूं का प्रत्याशी बनाकर राजनीति में आने का अवसर दिया है। सपा के दूसरे राष्ट्रीय महासचिव व पांच बार के विधायक इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज कौशांबी से साइकिल दौड़ाने में जुट गए हैं। इंद्रजीत कौशांबी की मंझनपुर सीट से विधायक हैं। करीब 25 वर्षीय पुष्पेंद्र सरोज ने लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से एकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उनकी स्कूली शिक्षा देहरादून के वेल्हम ब्वायज स्कूल से हुई है। उनका मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद विनोद सोनकर से है।
केराकत के सपा विधायक व पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज मछलीशहर सीट से अपना दमखम दिखाने के लिए चुनाव में उतर गई हैं। प्रिया दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रही हैं। उनका मुकाबला वर्तमान सांसद भाजपा के बीपी सरोज से है।
कैराना के हसन परिवार से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन व तबस्सुम हसन की बेटी इकरा हसन सपा के टिकट पर मैदान में हैं। उनके भाई नाहिद हसन सपा के विधायक हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में नाहिद का चुनाव प्रबंधन भी इकरा ने संभाला था। इकरा ने लंदन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है।
प्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक उतरे देवरिया के रण में
दो बार सांसद रहे अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी भाजपा के टिकट से देवरिया में चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता 1996 व 1999 दो बार देवरिया से सांसद रह चुके हैं। आइआइटी दिल्ली से बीटेक करने वाले शशांक मणि ने स्विटजरलैंड से एमबीए की शिक्षा प्राप्त की है। उन्हें सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया है। उनका मुकाबला कांग्रेस और सपा गठबंधन के प्रत्याशी अखिलेश प्रताप सिंह से है।
घोसी से लड़ रहे कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद
योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री व सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी से चुनाव मैदान में हैं। अरविंद ओम प्रकाश राजभर के बड़े बेटे व पार्टी के प्रवक्ता हैं। ओम प्रकाश गाजीपुर की जहूराबाद सीट से विधायक हैं। भाजपा गठबंधन में शामिल सुभासपा को एक लोकसभा सीट मिली है। सुभासपा यहां पर अपने चुनाव चिह्न छड़ी पर लड़ रही है। घोसी उन सीटों में शामिल है जहां भाजपा को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। यहां बसपा ने भाजपा को 1,22,568 मतों के बड़े अंतर से हराया था। इस बार घोसी से सपा ने राजीव राय को टिकट दिया है।
बेनी की पोती श्रेया को मिला गोंडा से मौका
श्रेया वर्मा पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री व सपा के कद्दावर नेता रहे दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं। इनके पिता राकेश वर्मा सपा की सरकार में कारागार मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से शिक्षा लेने के बाद दिल्ली के रामजस कालेज से इकोनामिक्स आनर्स की पढ़ाई की है। श्रेया समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उनका मुकाबला मौजूदा सांसद व भाजपा प्रत्याशी कीर्तिवर्धन सिंह से है
बहराइच में सांसद के बेटे पर भाजपा ने जताया भरोसा
भाजपा के मौजूदा सांसद अक्षयवर लाल के बेटे डा. आनंद गोंड बहराइच से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने पिता के बजाय इन्हें टिकट दिया है। करीब 50 वर्षीय आनंद ने एमबीए व पीएचडी किया हुआ है। इनका मुकाबला सपा के रमेश गौतम से है।