रांची. झारखंड कैश कांड मामले में मंत्री आलमगीर आलम 3 दिनों की रिमांड पर लिए गए है. इस दौरान ईडी (ED) ने पीएमएलए कोर्ट को जो जानकारी दी है उसके अनुसार मंत्री आलमगीर आलम जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. आलमगीर आलम सवालों का गोल मोल जवाब दे रहे हैं.  ईडी ने कोर्ट को ये भी जानकारी दी है कि अभी विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर मंत्री और विभाग के पूर्व सचिव से पूछताछ करनी है, इसके साथ ही उनकी चल-अचल संपत्ति की पहचान करना और उसकी जानकारी इक्कठा करना है, जिस कारण रिमांड की अवधी को बढ़ाए जाए. दरअसल ग्रामीण विकास विभाग में फैले कमीशनखोरी के खेल के पूरे मामले में वरीय आईएएस मनीष रंजन का भी नाम सामने आया है. बता दें, पहले समन पर रांची स्थित ईडी कार्यालय न पहुंचने को लेकर ही ईडी ने आईएएस मनीष रंजन को दूसरा समन भी दिया गया है ताकि मामले में मंत्री और मनीष रंजन से आमने सामने बिठाकर पुछताछ की जा सके. वहीं इसके साथ ही ईडी ने अदालत को बताया है कि मंत्री और उनके सहयोगियों ने कमीशन से हुई काली कमाई के धन को अधिग्रहण कर उसे छिपाने का काम किया, जिस कारण मंत्री को मनी लांड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

मंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ मिले कई दस्तावेज

वहीं मंत्री आलमगीर आलम और उनके सहयोगियों के खिलाफ कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी मिले हैं, जिससे ये बात स्पष्ट है ये लोग गलत तरीके से धन अर्जित किया करते थे. ईडी ने बताया कि जांच के दौरान एक आईएएस ऑफिसर मनीष रंजन का नाम भी सामने आया है, जिन्हें 24 मई को पुछताछ के लिए बुलाया गया था. लेकिन, वह नहीं आए थे, जिस कारण उन्हें फिर से दूसरे समन के माध्यम से बुलाया गया है. वहीं ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया कि विभाग में अधिकारियों और पदाधिकारियों की सांठ-गांठ की वजह से कमीशन खोरी का धंधा फल-फूल रहा था.  इस पूरे मामले में आईएएस मनीष रंजन के अलावा दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.